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Mental Health Myths जिन्हें हमें अभी ही भूल जाना चाहिए!

आइए मानसिक स्वास्थ्य को लेकर फैली गलतफहमियों को दूर करें।

भारत में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कई भ्रम और सामाजिक टैबू आज भी मौजूद हैं। ये गलत धारणाएं लोगों को मदद लेने से रोकती हैं, जिससे समस्याएं और बढ़ती हैं।मंथन हॉस्पिटल में हम मानते हैं कि सही जानकारी ही सही इलाज की शुरुआत है।

 

🧠 मिथक 1: मानसिक बीमारी कोई बीमारी नहीं होती, यह सिर्फ सोच की बात है।

सच्चाई: मानसिक बीमारी भी शारीरिक बीमारियों जैसी ही होती है। यह मस्तिष्क के रासायनिक असंतुलन और जीवन की घटनाओं से जुड़ी होती है।

 

💬 मिथक 2: जो लोग थेरेपी लेते हैं, वे कमजोर होते हैं।

सच्चाई: थेरेपी लेना आत्म-जागरूकता और साहस की निशानी है। मदद मांगना कमजोरी नहीं, समझदारी है।

 

💊 मिथक 3: मानसिक स्वास्थ्य की दवाइयाँ नुकसान करती हैं या लत लगाती हैं।

सच्चाई: योग्य मानसिक रोग विशेषज्ञ द्वारा दी गई दवाइयाँ सुरक्षित होती हैं और दिमाग की रसायनों को संतुलित करती हैं।

 

🙅‍♂️ मिथक 4: मानसिक बीमारी का मतलब है आप पागल हैं।

सच्चाई: डिप्रेशन, एंग्ज़ायटी, PTSD जैसी स्थितियां आम हैं और इनका इलाज संभव है। मानसिक बीमारी पागलपन नहीं है।

 

🧓 मिथक 5: मानसिक बीमारी सिर्फ महिलाओं या बुजुर्गों को होती है।

सच्चाई: मानसिक समस्याएं किसी को भी हो सकती हैं — बच्चों, पुरुषों, किशोरों को भी।

💡 अब समय है सोच बदलने का

मंथन हॉस्पिटल में उपलब्ध सेवाएं: ✔️ काउंसलिंग और थेरेपी✔️ मानसिक रोग विशेषज्ञ से सलाह✔️ दवा प्रबंधन✔️ परिवार के लिए जागरूकता सत्र

📍 पता: RZ-6A, गली नं 8, इंद्रा पार्क, पालम कॉलोनी, नई दिल्ली – 110045📞 संपर्क करें: +91-8920945936🌐 वेबसाइट: www.manthanhospitals.com

🧠 मानसिक स्वास्थ्य शर्म की बात नहीं, देखभाल की ज़रूरत है।आज ही इस विषय पर खुलकर बात करें और दूसरों को भी प्रेरित करें।



 
 
 

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© Manthan Hospital and Neuropsychiatry Centre

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